साइबर अपराध तथा पेशेवर सामाजिक कार्य हस्तक्षेप
माधवी बापुराव धुर्वे
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साइबर अपराध (Cyber Crime) वह एक ऐसी गतिविधि या अपराध होते हैं जिनका प्रयोग कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल या अन्य डिजिटल तकनीकों का उपयोग मान्य कानून का उल्लंघन हेतु किया जाता हैं। इन अपराधों में आंकडों की चोरी (Data Theft), जानकारी में फेरबदल (Data Alteration), जानकारी को नष्ट करना (Data Destruction), हैकिंग (Hacking), वित्तीय धोखाधड़ी(Financial fraud), पहचान की चोरी(Identity Theft), ऑनलाइन उत्पीड़न(Online Harassment), स्पैम या वाइरस (Spam and Virus) की मदद सेसिस्टम की सुरक्षा को खंडित करना(Dismantling security), साइबर फिशिंग (Cyber Phishing), साइबर बुलीइंग (Cyber Bullying), डाटा चोरी(Data Theft), और अन्य डिजिटल तरीकों (Digital Methods)से अपराध करना शामिल होता है। साइबर अपराधी आमतौर पर इंटरनेट का उपयोग करते हुए कंप्यूटर नेटवर्क या सिस्टम में अनधिकृत तरीके(Unauthorized methods) से घुसपैठ डिजिटल दुनिया में करतें हैं। जिससे व्यक्तिगत(personal), वित्तीय(financial), और गोपनीय जानकारी का नुकसान(Loss of confidential information) हो सकता है। इसके कई प्रकार हो सकतें हैं जैसे कि जानकारी चोरी करना, जानकारी मिटाना, जानकारी मे फेर बदल करना, किसी कि जानकारी को किसी और को देना या कंप्यूटर मे उपयोगी भाग को चोरी करना या नष्ट करना, किसी पर हर वक़्त नजर रखना। आम तौर पर साइबर अपराध के प्रकारों में, जानकारी की चोरी करना जैसे किसी के भी कंप्यूटर से उसकी निजी जानकारी निकालना, उपयोगकर्ता नाम या पासवर्ड का दुरुपयोग करना। जानकारी मिटाना ताकी उसे नुकसान हो या कोई जरूरी जानकारी को नष्ट कर देना, फेर बदल करना, जानकारी मे कुछ हटाना या जोड़ना या उस जानकारी के अर्थ को बदल देना। बाहरी नुकसान या डिवाइस को आंतरिक रूप से नष्ट करना, उसे तोडना या उसकी चोरी करना भी साइबर अपराध के अंतर्गत आता है। स्पैम ईमेल का प्रयोग करके कंप्यूटर को नुकसान पहुचाना। हैकिंग द्वारा किसी की भी निजी जानकारी को हैक करना। साइबर फिशिंग के तहत किसी के पास स्पैम ईमेल भेजना ताकी वो अपनी निजी जानकारी दे और उस जानकारी से उसका नुकसान हो सके क्योकि यह ईमेल लोगों को आकर्षित करतें है जिस कारण लोग इसका शिकार हो जातें हैं। वायरस की मदद से साइबर अपराधी कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर कम्प्युटर पर भेजते हैं जिसमें वायरस छिपे होते हैं, इनमें नेटवर्क वायरस, फ़ाइल इंफेक्टर वायरस, बूट सेक्टर वायरस और मल्टीपार्टाइट वायरस, लव, वर्म, टार्जन हॉर्स, लॉजिक हॉर्स आदि वायरस शामिल हो सकतें हैं, यह कंप्यूटर को काफी हानिकारक होते हैं। सॉफ्टवेयर पाइरेसी (Software Piracy)द्वारा सॉफ्टवेयर की नकल तैयार कर सस्ते दामों में बेचना भी साइबर क्राइम के अन्तर्गत आता है। फर्जी बैंक कॉल, ईमेल, मैसेज (Fake Bank Calls, Emails, and Messages) भेजकर एटीएम नंबर और पासवर्ड की चोरी करना, धमकी देना, भ्रामक सूचना फैलाना। सोशल नेटवर्किग साइटों पर अफवाह फैलाना (Threats and Spreading False Information), साइबर बुलिंग करना आदि साइबर अपराध के तहत दर्ज किये जातें हैं।
DOI link – https://doi.org/10.69758/GIMRJ/2503I3IIVXIIIP0057
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