महादेवी वर्मा के साहित्य में वेदना और दुःखवाद

महादेवी वर्मा के साहित्य में वेदना और दुःखवाद

नाम- अजय (शोधार्थी)

हिंदी विभाग, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला।

मोबाइल नंबर- 8427221679,

  ई-मेल- ajay58883@gmail.com

सारांश

महादेवी वर्मा (1907-1987) हिंदी साहित्य के छायावादी युग की प्रमुख कवयित्री थीं, जिनके काव्य में वेदना और करुणा का गहन चित्रण मिलता है। उन्होंने अपने काव्य में विरह, पीड़ा और आध्यात्मिक अनुभूतियों को अत्यंत संवेदनशीलता से व्यक्त किया है। उनकी कविताओं में एक अज्ञात प्रियतम के प्रति विरह की तीव्र अनुभूति और उससे मिलने की आकांक्षा स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। यह विरह वेदना उनके काव्य का मूल तत्व है, जो उन्हें आधुनिक मीरा की उपाधि दिलाता है।

महादेवी वर्मा की वेदना वैयक्तिक होते हुए भी सार्वभौमिकता का स्पर्श करती है। उनकी कविताओं में आत्मा परमात्मा के मिलन की आकांक्षा, जीवन की नश्वरता का बोध, और आध्यात्मिक प्रेम की गहनता प्रकट होती है। उनकी कविताओं में विरह की पीड़ा, प्रेम की मूक अभिव्यक्ति और आध्यात्मिक रहस्यवाद का समावेश मिलता है, जो पाठकों को गहराई से प्रभावित करता है।

बीज शब्द– दुःख, दुःखवाद, विरह, वेदना।

DOI link – https://doi.org/10.69758/GIMRJ/2503I01S01V13P0012

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