परंपरागत शिल्प और कौशल में उद्यमिता और व्यावसायिक शिक्षा

परंपरागत शिल्प और कौशल में उद्यमिता और व्यावसायिक शिक्षा

श्रीमति उमा चैधरी

सहायक प्राध्यापक

श्री श्याम बालाजी कॉलेज महासमुन्द

इमलीभांठा, तहसील व जिला – महासमुन्द, पिन कोड-493445

umachoudhary2683@gmail.com

सारांश

भारत की सांस्कृतिक धरोहर में परंपरागत शिल्प और कौशल का अत्यधिक महत्व है। ये शिल्प न केवल भारतीय समाज के रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा रहे हैं, बल्कि ये कला, संस्कृति और आर्थिक जीवनशैली के महत्वपूर्ण घटक भी हैं। हालांकि, बदलते समय के साथ इन शिल्पों की प्रासंगिकता को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है। इस समस्या से निपटने और इन शिल्पों को पुनर्जीवित करने के लिए उद्यमिता और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है। इस परिप्रेक्ष्य में, शिल्पों में न केवल नए डिजाइनों और तकनीकों का समावेश किया जा सकता है, बल्कि इन शिल्पों को आर्थिक दृष्टिकोण से भी सशक्त किया जा सकता है।

DOI link – https://doi.org/10.69758/GIMRJ/2412IV02V12P0019

Download