मलयज की डायरी और उनका हंसता हुआ अकेलापन
मनोज शर्मा,
पी एच डी शोधार्थी हिंदी,
दिल्ली विश्वविद्यालय,
सम्पर्क : 9868310402.
ईमेल : mannufeb22@gmail.com
सारांश
हिंदी साहित्य के आधुनिक काल नयी विधाओं का प्रसव काल रहा है. डायरी हिंदी साहित्य की नवीन विधा है. डायरी को दैनिकी और दैनन्दिनी भी कहा जाता है जिसमें रोज़ की बाते लिखी है. मलयज हिंदी के अग्रज लेखक हैं जिन्होंने अनेक साहित्यिक विधाओं में अपनी रूचि दिखाई. हँसते हुए मेरा अकेलापन उनकी लिखी डायरी है. नामवर सिंह ने इसका सम्पादन किया है. इसका प्रकाशन वाणी प्रकाशन ने सन 2000 में किया है. इस डायरी में मलयज के करीब 32 सालों का लेखन है.डायरी एक मित्र की भांति होती है जिसमें लेखक स्वयं की निजी बातों का अंकन करता है.आधुनिक काल में बहुत–सी डायरियां लिखी गई.जैसे मेरी कालिज डायरी (धीरेन्द्र वर्मा),प्रवास की डायरी(हरिवंश राय बच्चन), दिनकर की डायरी(दिनकर) मोहन राकेश की डायरी(मोहन राकेश)आदि .हँसते हुए मेरा अकेलापन मलयज की डायरी है जो तीन खंडों में प्रकाशित है.इस डायरी के माध्यम से मलयज के समग्र व्यक्तितव को आसानी से समझा जा सकता है. मलयज की डायरी डायरी साहित्य में हिन् नहीं बल्कि सम्पूर्ण हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती है.
बीज शब्द : डायरी, साहित्य, आधुनिक काल, नयी विधा,अकेलापन
DOI link – https://doi.org/10.69758/GIMRJ/2411IV05V12P0006
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