रेखाचित्र-स्वरूप और विश्लेषण ‘महादेवी वर्मा के रेखाचित्र’

रेखाचित्र-स्वरूप और विश्लेषण ‘महादेवी वर्मा के रेखाचित्र’

मनोज शर्मा

पी एच डी शोधार्थी (हिंदी), दिल्ली विश्वविद्यालय,

9868310402

mannufeb22@gmail.com

सारांश

 साहित्य में गद्य-लेखन का आरंभ अर्वाचीन युग से माना जाता है. रेखाचित्र की गणना गद्य की नव्यत्तम विधाओं में की जाती है. पश्चिम से आई इस विधा को अंग्रेजी में ‘स्केच’ कहा गया है हिंदी में इसे ‘रेखाचित्र’ नाम दिया गया है. रेखाचित्र में किसी विशेष व्यक्ति के चरित्र स्वभाव और गुणों का कलात्मक वर्णन रहता है. व्यक्ति ही क्यों, किसी घटना या दृश्य को लेकर जो शब्द-चित्र तैयार किया जाता है, उसे भी प्राय: यही संज्ञा दी जाती है. वाग्विद्ग्धता और यथार्थवादिता किसी भी स्केच या रेखाचित्र की विशेषता होती है. जिस प्रकार आधुनिक समाज के अत्यंत संश्लिष्ट संगठन की अभिव्यक्ति करने वाली सवाक चित्र और उपन्यास कलाएं विकसित हुई उसी प्रकार उसकी द्रुतगामिता की अभिव्यक्ति करने वाली आधुनिक कहानी, रेखाचित्र और रिपोर्ताज की कलाओं का विकास हुआ. ‘रेखाचित्र’ विषय का दूरस्थ (डिस्टेंट) और विषय से अलगाव लिए हुए (डिटेच्ड) चित्र होता है. रेखाचित्र के विषय में (आब्जेक्ट) के साथ लेखक का निकट संपर्क आवश्यक नहीं. जैसे चित्रकार किसी व्यक्ति, स्थल या वास्तु को देखकर उसके साथ बिना आत्मिक लगाव स्थापित किये हुए भाव से ‘स्केच’ रेखाचित्र प्रस्तुत कर देता है.

बीज शब्द – गद्य, स्केच, कलात्मकता, नवीन विधा,व्यक्ति विशेष, चरित्र, शब्दचित्र

DOI link – https://doi.org/10.69758/GIMRJ/2505I5VXIIIP0068

Download