मध्यप्रदेश में सहरिया जनजाति
डॉ. योगेश्वर प्रसाद बघेल
अतिथि ब्याख्याता (प्राध्यापक)
विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान
शासकीय वेदराम महाविद्यालय मालखरौदा, जिला सक्ती (छ.ग.)
एक लोक कल्याणकारी राज्य के रूप में हमारे देष का वर्तमान स्वरूप, भले ही 26 जनवरी 1950 को सामने आया हो लेकिन लोक कल्याण और समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति की हिफाजत का मंतव्य सदियों से या यूँ कहें कि हमारी जीवन शैली का आरंभ से ही प्रधान हिस्सा रहा है। भारत के सविंधान में भारत को एक कल्याणकारी राज्य घोषित किया गया है।
कल्याणकारी राज्य से हमारा तात्पर्य राज्य की जनता का विकास और उनकी समस्याओं को दूर करने के लिये साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने से है। संविधान कि धारा 46 में कहा गया है, कि राज्य समुदाय के कमजोर वर्गो की शिक्षा तथा आर्थिक हितों की रक्षा करेगा, विशेशतया अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजातियों के सामान्य हितों का ध्यान व उनके प्रति होने वाले सामाजिक अन्याय तथा सभी प्रकार के शोशणों से उनकी रक्षा करेगा।
DOI link – https://doi.org/10.69758/GIMRJ/2412IVVXIIP0009
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